चैटजीपीटी पर बहस, ये खतरा बन रहा

टूल से जल्दी और आसानी से हल मिल जाते हैं, लेकिन समस्याओं के समाधान का हुनर और क्रिटिकल थिंकिंग विकसित नहीं करता जो शिक्षा और जीवन में सफलता के लिए जरूरी हैं

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चैट जीपीटी ने जेंडर पर तुरंत पेपर तैयार कर दिया। यह तेजी से नकल करने की मशीन बन सकता है। होमवर्क असाइनमेंट तैयार कर सकता है। ऐसे में इसे इस्तेमाल करने के लिए सावधानी जरूरी है। क्रिटिकल थिंकिंग और समस्या हल करने के कौशल को सिखाने में इस प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करें। चैटजीपीटी की रिपोर्ट का विश्लेषण करने को दें। उसका स्रोत, प्रमाणिकता पता लगाने को कहें।

चैटजीपीटी से कहीं अधिक खतरा लोकतांत्रिक प्रक्रिया से लोगों के खारिज होने का है। यह ख़तरा वोटिंग के जरिये नहीं, बल्कि लॉबिंग के जरिये हो सकता है। यह किसी भी कानूनी प्रक्रिया के लिए अपने आप बड़ी संख्या में टिप्पणियां भेजने में इस्तेमाल हो सकता है। अखबारों में पत्र संपादक के नाम भेज सकता है। रोजाना लाखों में सोशल मीडिया पोस्ट, ब्लॉग, लेख भेज सकता है। इस तरह से किसी नीतिगत मसले पर जनमत और दबाव बनाने में काम में लिया जा सकता है।

राजनीतिक नेटवर्क के समझने वाले सिस्टम के साथ चेटजीपीटी को जोड़ा जाए तो वह किसी नीति के क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव वाले सांसदों की पहचान कर सकता है। वह निर्णय को लेकर असमंजस में रहने वाले सांसदों को निशाना बनाकर अभियान चला सकता है।