डीएनए या परवरिश व्यक्तित्व में मनचाहा बदलाव लाने में बाधक नहीं
दुनिया में दो-तिहाई लोग अपने व्यक्तित्व में किसी न किसी खामी से जूझ रहे होते हैं और बदलाव की इच्छा रखते हैं। दुनिया में कई मनोवैज्ञानिक अध्ययन में यह सामने आया है कि यदि आप अपने व्यक्तित्व में कोई गंभीर खामी से जूझ रहे हैं या उसे निखारना चाहते हैं तो यह संभव है। हो सकता है कि डीएनए या परवरिश से आपके व्यक्तित्व में कुछ अनचाहे पहलू जुड़ गए हों लेकिन हमारे पास उनको बदलकर अपने भविष्य को गढ़ने की क्षमता है।
अमेरिका में स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी के सायकोलॉजी की प्रो जेसिका श्लेडर ने एंग्जाइटी व डिप्रेशन पीड़ित 100 बच्चों को दिमाग के लचीलेपन के विज्ञान के बारे में पढ़ाया। अनुभवों से रूबरू कराया। नौ महीने में उनमें एंग्जाइटी, डिप्रेशन का स्तर कम पाया गया।
घुलने-मिलने वाला शख्स बनना चाहता है तो उसके लिए हफ्ते में एक बार अनजाने व्यक्ति से परिचय करने का लक्ष्य दिया जा सकता है।
मूल चरित्र को गढ़ने वाले पांच लक्षण हैं, जिन्हें बिग 5 कहा गया है,
जैसे सामाजिक – आप समाज में किस तरह से मेलजोल रखते हैं
कर्तव्यनिष्ठ – कितने व्यवस्थित व अनुशासित हैं
सामंजस्य – सामाजिक सद्भाव से कैसा सरोकार रखते हैं , मानसिक रूप से कितने संवेदनशील हैं और अनुभव के लिए खुलापन कितने कल्पनाशील हैं।
मनोवैज्ञानिकों ने स्टडी के जरिये दिखाया है कि इन पांच क्षेत्रों में लोगों के स्कोर से उनके बारे में कितना सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। अभ्यास के जरिए बदलाव लाया जा सकता है।