फिल्टर लगाकर ली गई सेल्फी को भी बार-बार देखनें से खुद के प्रति नकारात्मकता बढ़ने लगती है
सेल्फी का साइड इफैक्ट :
सोशल मीडिया पर दिखने वाली फोटोज को देख कर क्या आपको भी लगने लगा है कि दूसरों की तुलना में आप कम सुंदर हैं, उनके जैसे फिट नहीं है? अगर ऐसा है तो आप सेल्फी इफेक्ट का शिकार हो रहे हैं। साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित शोध बताता है कि सोशल मीडिया पर सजा-धजा कर डाली गई तस्वीरों को लगातार देखने और फिर उनसे खुद की तुलना करने पर सीधा असर मूड और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यहां तक कि फिल्टर लगाकर ली गई खुद की सेल्फी भी बार-बार देखने से स्वयं के प्रति धारणा बदलने लगती है। आप हीन भावना का शिकार होने लगते हैं। परिणाम स्वरूप दुखी महसूस करने लगते हैं। सोशल मीडिया का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है। खासकर महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित है। जामा इंटरनेशनल में हाल ही में प्रकाशित एक शोध बताता है कि लड़कों की तुलना में सोशल मीडिया का प्रभाव युवा किशोरियों पर अधिक पड़ता है। उन्हें नकारात्मक भाव ज्यादा प्रभावित करते हैं।
57% किशोरियां दुखी और निराश महसूस करती हैं
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने 2021 में यूथ रिस्क बिहेवियर के नाम से सर्वे किया सर्वे में पाया गया कि सोशल मीडिया के कारण 57 प्रतिशत अमेरिकी किशोरियां नियमित रूप से दुखी और निराश महसूस करती हैं, जबकि 29 प्रतिशत लड़कों ने इसके चलते दुखी होने की बात कही।
सोशल मीडिया की तस्वीरों से तुलना करने पर बढ़ती है समस्या
सोशल मीडिया पर बहुत से लोग ‘नकली’ होते हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में साइकोलॉजी की असिस्टेंट प्रोफेसर केनिशा सिंक्लेयर मैकब्राइड के अनुसार फोन में उपलब्ध कई तरह के फिल्टर और खूबसूरती बढ़ाने वाले एप के माध्यम से चेहरों को सुंदर करके डाला जाता है जब महिलाएं खुद की तुलना उनसे करती हैं तो उनमें हीन भावना बढ़ने लगती है।
नींद प्रभावित होती है, खुद की नकारात्मक छवि बनने लगती है
सोशल मीडिया के अधिक प्रयोग से नींद पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही महिलाएं स्वयं की शारीरिक छवि को लेकर नकारात्मक होने लगती हैं, जिससे उनका आत्मसम्मान और आत्मविश्वास दोनों ही प्रभावित होते हैं। इससे उनमें अवसाद को भावना बढ़ने लगती है महिलाओं के ऑनलाइन उत्पीड़न का खतरा भी अधिक होता है।